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"जब तिरा नाम लिया / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | ||
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जगमागाती हुई कुछ वस्ल की रातें निकलीं | जगमागाती हुई कुछ वस्ल की रातें निकलीं | ||
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दर्द जो तिरी तरह नूर भी है नार भी है | दर्द जो तिरी तरह नूर भी है नार भी है | ||
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13:40, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जब तिरा नाम लिया दिल ने, तो दिल से मेरे
जगमागाती हुई कुछ वस्ल की रातें निकलीं
अपनी पलकों पे सजाये हुए अश्कों के चिराग़
सर झुकाये हुए कुछ हिज्र की शामें गुज़रीं
क़ाफ़िले खो गये फिर दर्द के सहराओं में
दर्द जो तिरी तरह नूर भी है नार भी है
दुश्मने-जाँ भी है, महबूब भी, दिलदार भी है