भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उसने कहा / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)
 
छो ("उसने कहा / जया जादवानी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

01:20, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

उसने कहा तुम मत जाओ
तुम्हारे बिना अधूरा हूँ मैं
और सारी की सारी गठरी सर पे मेरे
वह चल रहा आगे-आगे
मैं गठरी समेत उसके पीछे।