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"प्रकृति संदेश / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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सागर कहता है लहराकर,<br>
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मीठी मीठी मृदुल उमंग!
  
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भर लो भर लो अपने दिल में<br>
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मीठी मीठी मृदुल उमंग!<br><br>
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ढक लो तुम सारा संसार!
 
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पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो<br>
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कितना ही हो सिर पर भार,<br>
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नभ कहता है फैलो इतना<br>
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ढक लो तुम सारा संसार! <br><br>
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09:58, 17 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।

समझ रहे हो क्या कहती हैं
उठ उठ गिर गिर तरल तरंग
भर लो भर लो अपने दिल में
मीठी मीठी मृदुल उमंग!

पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार,
नभ कहता है फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार!