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"निकनेम / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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12:08, 16 जून 2010 के समय का अवतरण
तुम मुझको गुड़िया कहते हो
ठीक ही कहते हो
खेलने वाले हाथों को मैं गुड़िया ही लगती हूँ
जो पहना दो मुझ पे सजेगा
मेरा कोई रंग नहीं
जिस बच्चे के हाथ थमा दो
मेरे किसी से जंग नहीं
सोचती जागती आँखें मेरी
जब चाहे बीनाई ले लो
कूक भरो और बातें सुन लो
या मेरी गोयाई ले लो
मांग भरो सिन्दूर लगाओ
प्यार करो आँखों में बसाओ
और फिर जब दिल भर जाए तो
दिल से उठा के ताक़ पे रख दो
तुम मुझको गुड़िया कहते हो
ठीक ही कहते हो