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"सच कहता हूँ मैं / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर

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तुमने छुआ, जगा मन मेरा
 
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सच कहता हूं मैं
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मेरा तो अब हुआ सबेरा
 
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सच कहता हूं मैं
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काया पलट गयी मेरी
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तेरे दर्शन से
 
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मेरे मन में समा गया तू
 
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मन के दर्पण से
 
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सच कहता हूँ मैं
सच कहता हूं मैं
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जैसा बाहर वैसा भीतर
 
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मैं भरपूर हुआ
 
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हुई रोशनी, छँटा अँधेरा
हुई रोशनी, छंटा अंधेरा
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सच कहता हूँ मैं ।
 
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सच कहता हूं मैं।
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13:49, 4 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

तुमने छुआ, जगा मन मेरा
सच कहता हूँ मैं
मेरा तो अब हुआ सबेरा
सच कहता हूँ मैं ।

काया पलट गई मेरी
दिनचर्या बदल गई
जैसे कोई फाँस फँसी थी
ख़ुद ही निकल गई
ख़ूब मिला तू रैन-बसेरा
सच कहता हूँ मैं ।

सारी उलझन सुलझ गई है
तेरे दर्शन से
मेरे मन में समा गया तू
मन के दर्पण से

मैं हूँ तेरा साँप-सँपेरा
सच कहता हूँ मैं
आधा-तीहा नहीं रहा मैं
पूरमपूर हुआ
जैसा बाहर वैसा भीतर
मैं भरपूर हुआ
हुई रोशनी, छँटा अँधेरा
सच कहता हूँ मैं ।