भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बच्चू बाबू / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=कैलाश गौतम | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | ||
बच्चू बाबू एम.ए. करके सात साल झख मारे | बच्चू बाबू एम.ए. करके सात साल झख मारे | ||
+ | खेत बेंचकर पढ़े पढ़ाई, उल्लू बने बिचारे | ||
− | + | कितनी अर्ज़ी दिए न जाने, कितना फूँके तापे | |
+ | कितनी धूल न जाने फाँके, कितना रस्ता नापे | ||
+ | लाई चना कहीं खा लेते, कहीं बेंच पर सोते | ||
+ | बच्चू बाबू हूए छुहारा, झोला ढोते-ढोते | ||
− | + | उमर अधिक हो गई, नौकरी कहीं नहीं मिल पाई | |
+ | चौपट हुई गिरस्ती, बीबी देने लगी दुहाई | ||
− | + | बाप कहे आवारा, भाई कहने लगे बिलल्ला | |
− | + | नाक फुला भौजाई कहती, मरता नहीं निठल्ला | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | बाप कहे आवारा भाई कहने लगे बिलल्ला | + | |
− | + | ||
− | नाक फुला भौजाई कहती मरता नहीं निठल्ला | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | ख़ून ग़रम हो गया एक दिन, कब तक करते फाका | ||
+ | लोक लाज सब छोड़-छाड़कर, लगे डालने डाका | ||
बड़ा रंग है, बड़ा मान है बरस रहा है पैसा | बड़ा रंग है, बड़ा मान है बरस रहा है पैसा | ||
− | + | सारा गाँव यही कहता है बेटा हो तो ऐसा । | |
− | सारा गाँव यही कहता है बेटा हो तो | + | </poem> |
13:15, 4 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
बच्चू बाबू एम.ए. करके सात साल झख मारे
खेत बेंचकर पढ़े पढ़ाई, उल्लू बने बिचारे
कितनी अर्ज़ी दिए न जाने, कितना फूँके तापे
कितनी धूल न जाने फाँके, कितना रस्ता नापे
लाई चना कहीं खा लेते, कहीं बेंच पर सोते
बच्चू बाबू हूए छुहारा, झोला ढोते-ढोते
उमर अधिक हो गई, नौकरी कहीं नहीं मिल पाई
चौपट हुई गिरस्ती, बीबी देने लगी दुहाई
बाप कहे आवारा, भाई कहने लगे बिलल्ला
नाक फुला भौजाई कहती, मरता नहीं निठल्ला
ख़ून ग़रम हो गया एक दिन, कब तक करते फाका
लोक लाज सब छोड़-छाड़कर, लगे डालने डाका
बड़ा रंग है, बड़ा मान है बरस रहा है पैसा
सारा गाँव यही कहता है बेटा हो तो ऐसा ।