भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विदेश में / हरजेन्द्र चौधरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरजेन्द्र चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> '''रचनाकाल :…)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
कोई नहीं जानता यहाँ मेरी भाषा
 +
मैं नहीं समझ पाता अर्थ
 +
उन शब्दों के
 +
बोल रहे लोग इस शहर्के
 +
होटलों, रास्तों, स्टेशनों, बाज़ारों, क्लबों में
  
 +
किसी से नही की बात
 +
हफ़्ता हो गया
 +
नहीं गया किसी के घर
 +
हफ़्ता हो गया
 +
नहीं मिलाया किसी से हाथ
 +
हफ़्ता हो गया
 +
अकेले-अकेले ढो रहा उम्मीदें और स्मृतियाँ
 +
हफ़्ता हो गया
 +
मलबे दिखते सपनों के
 +
हफ़्ता हो गया
  
 +
हफ़्ता हो गया
 +
भीतर उग आया जंगल आदिम
 +
मैं कहाँ-कहाँ काटता फिरा
 +
बीहड़ वक़्त...
  
 
'''रचनाकाल : 1994, तोक्यो
 
'''रचनाकाल : 1994, तोक्यो
 
</poem>
 
</poem>

21:38, 17 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कोई नहीं जानता यहाँ मेरी भाषा
मैं नहीं समझ पाता अर्थ
उन शब्दों के
बोल रहे लोग इस शहर्के
होटलों, रास्तों, स्टेशनों, बाज़ारों, क्लबों में

किसी से नही की बात
हफ़्ता हो गया
नहीं गया किसी के घर
हफ़्ता हो गया
नहीं मिलाया किसी से हाथ
हफ़्ता हो गया
अकेले-अकेले ढो रहा उम्मीदें और स्मृतियाँ
हफ़्ता हो गया
मलबे दिखते सपनों के
हफ़्ता हो गया

हफ़्ता हो गया
भीतर उग आया जंगल आदिम
मैं कहाँ-कहाँ काटता फिरा
बीहड़ वक़्त...

रचनाकाल : 1994, तोक्यो