भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विदागीत / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी |संग्रह=शहर अब भी संभावना है / अशोक …) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो (विदा गीत / अशोक वाजपेयी का नाम बदलकर विदागीत / अशोक वाजपेयी कर दिया गया है) |
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:22, 23 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
भागते हैं,
छूटते ही जा रहे हैं पेड़
पीपल-बैर-बरगद-आम के,
बिछुड़ती पग-लोटती घासें,
खिसकती ही जा रही हैं
रेत परिचय की अनुक्षण,
दूरियों की खुल रही हैं मुट्ठियाँ!
फिर किसी आवर्त्त में बंध
कभी आऊँगा यहाँ
रेत जाने किन तहों तक धँसेगी
परिचय न चमकेगा कभी भी
चुप रहेंगे पेड़-धरती घास सब...
तब मुझे पहचान
छोड़ता हूँ आज जिसको
टेरेगा सहसा क्या
विदा का बूढ़ा-सा पाखी?
रचनाकाल : 1957