भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तेरी हँसी / सतीश बेदाग़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(पृष्ठ से सम्पूर्ण विषयवस्तु हटा रहा है)
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=सतीश बेदाग़
 +
|संग्रह=एक चुटकी चाँदनी / सतीश बेदाग़
 +
}}
 +
<poem>
 +
देखकर तेरी हँसी,देखा है
  
 +
आँखें मलता है उस तरफ़ सूरज
 +
जागने लगती है सुबह हर ओर
 +
धुंध में धुप निकल आती है
 +
 +
पेड़ों पर कोम्पलें निकलतीं हैं
 +
बालियों में पनपते हैं दाने
 +
भरने लगते हैं रस से सब बागान
 +
 +
जब सिमट आती है हाथों में मेरे तेरी हँसी
 +
तब मेरे ज़हन में अल्लाह का नाम आता है
 +
</poem>

08:40, 28 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

 
देखकर तेरी हँसी,देखा है

आँखें मलता है उस तरफ़ सूरज
जागने लगती है सुबह हर ओर
धुंध में धुप निकल आती है

पेड़ों पर कोम्पलें निकलतीं हैं
बालियों में पनपते हैं दाने
भरने लगते हैं रस से सब बागान

जब सिमट आती है हाथों में मेरे तेरी हँसी
तब मेरे ज़हन में अल्लाह का नाम आता है