भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शहीद / ऐ वतन ऐ वतन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''रचनाकार् - प्रेम् धवन्'''
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKFilmSongCategories
 +
|वर्ग=देश भक्ति गीत
 +
}}
 +
{{KKFilmRachna
 +
|रचनाकार=प्रेम धवन
 +
}}
 +
<Poem>
 +
तू ना रोना, कि तू है भगत सिंह की माँ
 +
मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं
 +
डोली चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी
 +
हँसके हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं
  
 +
जलते भी गये कहते भी गये
 +
आज़ादी के परवाने
 +
जीना तो उसी का जीना है
 +
जो मरना देश पर जाने
  
<poem>
+
जब शहीदों की डोली उठे धूम से
जलते भी गये केहते भी गये
+
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं
आजादि के पर्वाने
+
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन
जीना तो उसी का जीना है
+
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं
जो मरना वतन् पे जाने
+
  
ए वतन् ए वतन्
+
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
हमको तेरी कसम्
+
तेरी राहों में जां तक लुटा जायेंगे
तेरी राहों मे
+
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम
जाँ तक् लुटा जायेगें
+
भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे
 +
ऐ वतन ऐ वतन
  
फूल् क्या चीज् है
+
कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
तेरे कदमो पे हम्
+
कोई यूपी से है, कोई बंगाल से
भेंट् अपने सरों की
+
तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम
चढा जायेगें
+
फूल हर रंग के, आज हर डाल से
 +
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
 +
जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे
 +
ऐ वतन ऐ वतन ...
  
ए वतन् ए वतन्
+
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
हमको तेरी कसम्
+
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी राहों मे
+
तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का
जाँ तक् लुटा जायेगें
+
उस कदम का निशां तक मिटा देंगे हम
 
+
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
फूल् क्या चीज् है
+
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे
तेरे कदमो पे हम्
+
</poem>
भेंट् अपने सरों की
+
चढा जायेगें
+
 
+
कोई पंजाब् से
+
कोई महाराशट्र से
+
कोइ यु पी से है
+
कोइ बंगाल् से
+
 
+
कोई पंजाब् से
+
कोई महाराशट्र से
+
कोइ यु पी से है
+
कोइ बंगाल् से
+
 
+
तेरी पुजा कि थालि मे
+
तेरी पुजा कि थालि मे
+
लाये है हम्
+
फूल् हर् रंग् के
+
आज् हर् डाल् से
+
 
+
नाम् कुछ् भी सही
+
पर् लगन् एक् है
+
ज्योत् से ज्योत् दिल् की
+
जागा जायेंगे
+
 
+
ए वतन् ए वतन्
+
हमको तेरी कसम्
+
तेरी राहों मे
+
जाँ तक् लुटा जायेगें
+
 
+
तेरी जानिब् उठी
+
जो कैहर् की नजर्
+
उस् नजर् को झुका के ही
+
दम् लेगें हम्
+
 
+
तेरी जानिब् उठी
+
जो कैहर् की नजर्
+
उस् नजर् को झुका के ही
+
दम् लेगें हम्
+
 
+
तेरी धरती पे है जो
+
कदम् गैर् के
+
उस् कदम् के निशान् तक्
+
मिटा देगें हम्
+
उस् कदम् के निशान् तक्
+
मिटा देगें हम्
+
 
+
जो भी दीवार् आयेगी अब् सामने
+
ठोकोरों से उसे हम् गिरा जायेगें
+
ए वतन् ए वतन्
+
हमको तेरी कसम्
+
तेरी राहों मे
+
जाँ तक् लुटा जायेगें
+
ए वतन् ए वतन्</poem>
+

21:25, 19 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: प्रेम धवन                 

तू ना रोना, कि तू है भगत सिंह की माँ
मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं
डोली चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी
हँसके हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं

जलते भी गये कहते भी गये
आज़ादी के परवाने
जीना तो उसी का जीना है
जो मरना देश पर जाने

जब शहीदों की डोली उठे धूम से
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं

ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों में जां तक लुटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम
भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन

कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
कोई यूपी से है, कोई बंगाल से
तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम
फूल हर रंग के, आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन ...

तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का
उस कदम का निशां तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे