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"दोस्ती / गुड़िया हमसे रूठी रहोगी" के अवतरणों में अंतर

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'''रचनाकार् - मजरु सुलतानपुरी'''
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तुम्हारी हँसी
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फिर भी, मुख पे हाथ धरोगी
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गुड़िया ...
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04:58, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: मजरूह सुल्तानपुरी                 

गुड़िया, हमसे रूठी रहोगी
कब तक, न हँसोगी
देखो जी, किरन सी लहराई
आई रे आई रे हँसी आई
गुड़िया ...

झुकी-झुकी पलकों में आ के
देखो गुपचुप आँखों से झाँके
तुम्हारी हँसी
फिर भी, अँखियाँ बन्द करोगी
गुड़िया ...

अभी-अभी आँखों से छलके
कुछ-कुछ होंठों पे झलके
तुम्हारी हँसी
फिर भी, मुख पे हाथ धरोगी
गुड़िया ...