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"संघर्षों की राह में / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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हमें उनका संबल बनना होगा॥ 
  
 
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ताकि उनकी राह भी,  
जब अपने दम-खम से,<br>
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कुछ आसान हो जाए।  
कोई नारी बन जाती है महान।<br>
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संघर्षों की राह में वो,  
तब करता है गौरव उस पर,<br>
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खुद को अकेला न पाए॥
यह सारा का सारा जहान॥<br><br>
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कुछ आसान हो जाए।<br>
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खुद को अकेला न पाए॥<br><br>
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23:19, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

जब अपने दम-खम से,
कोई नारी बन जाती है महान।
तब करता है गौरव उस पर,
यह सारा का सारा जहान॥
 
हमें समाज की इस धारणा को,
प्रयास करके बदलना होगा।
बेटियों के आगे बढ़ने में,
हमें उनका संबल बनना होगा॥

ताकि उनकी राह भी,
कुछ आसान हो जाए।
संघर्षों की राह में वो,
खुद को अकेला न पाए॥