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"अक्स / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

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हम अगर टी० वी० के सामने बैठे हैं  
 
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तो वे हमें सीधे देख रहे हैं
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नहीं बैठे हैं वे हमें
 
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उनकी योजनाओं में देख रहे हैं
 
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अपनी सफलताओं के सारे जश्न  
 
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उनके बताए अनुसार मनाएँ
 
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असफलताओं के जिम्मेदार हम खुद  
 
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हमारे बच्चे हों
 
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उनके पास
 
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उनकी ज़रूरतों एक आईना है
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उनकी ज़रूरतों का  एक आईना है
और उस आईने में हमारा अक्स है।
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उस आईने में हमारा अक्स है।
 
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22:44, 15 मार्च 2010 के समय का अवतरण

उनकी दृष्टि में हज़ार हज़ार वाट की
रोशनी लगी है
वे देख रहे हैं हमें हजार आँखों से
उनकी सेन्सर तरंगें हमे महसूस रहीं हैं
तब भी जब हमें उनकी उपस्थिति
महसूस नहीं होती

हम अगर टी० वी० के सामने बैठे हैं
वे हमें सीधे देख रहे हैं
नहीं बैठे हैं वे हमें
उनकी योजनाओं में देख रहे हैं

हम अगर कुछ खरीदते हैं, तो वे
सतर्कता से हमें देख रहे हैं
नहीं खरीदते हैं
सम्भावनाएँ देख रहे हैं

उन्हें हमारी ज़रूरतों का भी अंदाज़ा है
वे हममें ज़रूरतमंद देख रहे हैं
उन्हें हमारे सपनों के बारे में मालूम है
वे चाहते हैं हम उनके बताए सपने देखें

हमारे प्रेम पर उनकी नज़र है
वे चाहते हैं, हम उनके तरीके से प्रेम करें
हमारी घृणा भी उनसे छुपी नहीं है
वे चाहते हैं हम युद्ध करें

हमारी देश-भक्ति एक सम्भावना है
वे चाहते हैं हम देश के नाम पर भावुक हों
अपनी सफलताओं के सारे जश्न
उनके बताए अनुसार मनाएँ
असफलताओं के जिम्मेदार हम खुद
हमारे बच्चे हों

उनके पास
उनकी ज़रूरतों का एक आईना है
 उस आईने में हमारा अक्स है।