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"हम हिन्दुस्तानी / छोड़ो कल की बातें" के अवतरणों में अंतर

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छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
 
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
 
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
 
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2
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हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
  
आज पुरानी जंजीरों को तोड़ चुके हैं
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आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंजिल को छोड़ चुके हैं
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क्या देखें उस मंजिल को जो छोड़ चुके हैं
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज जमाना
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चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना
 
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
 
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
 
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
 
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2
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हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
  
आओ मेहनत को अपना ईमान बनायें
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हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने
अपने हाथों को अपना भगवान बनायें
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कितने हैं अजंता हम को और सजाने
राम की इस धरती को गौतम की भूमि को
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अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का
सपनों से भी प्यारा हिन्दुस्तान बनायें
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कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
 
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
 
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2
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हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
  
हर जर्रा है मोती, आंख उठाकर देखो
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आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं
माटी में सोना है, हाथ बढ़ाकर देखो
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अपने हाथों को अपना भगवान बनाएं
सोने की ये गंगा है, चांदी की यमुना
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राम की इस धरती को गौतम की भूमी को
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सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
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नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
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हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
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हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो
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माटी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो
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सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना
 
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
 
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
 
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
 
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2
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हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
 
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02:19, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: प्रेम धवन                 

छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंजिल को जो छोड़ चुके हैं
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने
कितने हैं अजंता हम को और सजाने
अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं
अपने हाथों को अपना भगवान बनाएं
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो
माटी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...