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"अनुराग तुम्हारा / संज्ञा सिंह" के अवतरणों में अंतर

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03:21, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

अखंडित
अनुराग तुम्हारा
राग बना रहा मेरे लिए

खंडित दलित
प्यार मेरा
कहीं से भार नहीं बना
तुम्हारे लिए

तुम सब कुछ करते रहे
आह में चाह के स्वर
सहेजे

मै
तुम्हारे लिए
न बचा सकी
ख़ुद को


रचनाकाल : 1995, विदिशा