भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रार्थना / मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ()
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
 
|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
 
}}
 
}}
 +
{{KKAnthologyDeath}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
वांछित
 
वांछित
 
 
अमरता नहीं;
 
अमरता नहीं;
 
 
चाहता हूँ
 
चाहता हूँ
 
 
अजरता।
 
अजरता।
 
 
सकल स्वास्थ्य, आरोग्य
 
सकल स्वास्थ्य, आरोग्य
 
 
निरुद्विग्नता —
 
निरुद्विग्नता —
 
 
तन और मन की।
 
तन और मन की।
 
  
 
अभिप्रेत वरदान यह
 
अभिप्रेत वरदान यह
 
 
कल्पित किसी ईश से —
 
कल्पित किसी ईश से —
 
 
नहीं।
 
नहीं।
 
 
  
 
स्व-साधित सतत साधना से —
 
स्व-साधित सतत साधना से —
 
 
आराधना से नहीं।
 
आराधना से नहीं।
 
 
तन क्लेश-मुक्त
 
तन क्लेश-मुक्त
 
 
मन क्लेश-मुक्त
 
मन क्लेश-मुक्त
 
 
  
 
हाँ,
 
हाँ,
 
 
एक-सौ-और-पच्चीस वर्षों   
 
एक-सौ-और-पच्चीस वर्षों   
 
 
जिएँ हम!
 
जिएँ हम!
 
 
अपने लिए,
 
अपने लिए,
 
 
दूसरों के लिए।
 
दूसरों के लिए।
 +
</poem>

01:45, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

वांछित
अमरता नहीं;
चाहता हूँ
अजरता।
सकल स्वास्थ्य, आरोग्य
निरुद्विग्नता —
तन और मन की।

अभिप्रेत वरदान यह
कल्पित किसी ईश से —
नहीं।

स्व-साधित सतत साधना से —
आराधना से नहीं।
तन क्लेश-मुक्त
मन क्लेश-मुक्त

हाँ,
एक-सौ-और-पच्चीस वर्षों
जिएँ हम!
अपने लिए,
दूसरों के लिए।