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तीन (घोड़ेः रथ के) / सुदर्शन वशिष्ठ
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11:35, 1 जनवरी 2010
|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>घोड़े दौड़ रहे हैं सरपट रथ में जुने
सारथि की हुँकार पर दौड़ते
दिशा बदलते पैंतरे बदलते करतब दिखाते
वहाँ कर्ण की मौत होती है
सारथि का कौशल
जय-पराजय,यश-अपयश,जीवन-मृत्यु घोड़े हैं।</poem>
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