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"चाँद की आदतें / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर

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चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती
 
चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती

22:46, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती
अगर रात जागने और सड़कों पर फ़ालतू भटकने की
लत न लग गई होती मुझे स्कूल के ही दिनों में

उसकी कई आदतें तो
तक़रीबन मुझसे मिलती-जुलती-सी हैं
मसलन वह भी अपनी कक्षा का एक बैक-बेंचर छात्र है
अध्यापक का चेहरा ब्लैक बोर्ड की ओर घुमा नहीं
कि दबे पाँव निकल भागे बाहर...

और फिर वही मटरगश्ती सारी रात
सारे आसमान में