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"द्वार खोलो दौड़कर / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर
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कल पुलिस की लाठियों से मर गया बुधिया | कल पुलिस की लाठियों से मर गया बुधिया | ||
लाश ग़ायब है अभी बतला गया अख़बार | लाश ग़ायब है अभी बतला गया अख़बार | ||
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11:40, 3 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
द्वार खोलो दौड़कर आ गया अख़बार
छटपटाती चेतना पर छा गया अख़बार
हर बशर खुशहाल है इस भुखमरी में भी
आँकड़ो की मारफ़त समझा गया अख़बार
कल मरीं कुछ औरतें स्टोव से जलकर
आज उनकी राख को जला गया अख़बार
हर तरफ ख़ामोशियों के रेंगते अजगर
एक सुर्ख़ी फेंककर दिखला गया अख़बार
कल पुलिस की लाठियों से मर गया बुधिया
लाश ग़ायब है अभी बतला गया अख़बार