भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सदस्य:Sharda monga" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: पंजाब मैं औरतें दुपहर में मिलजुल बैठ हँसते, गाते, खेलते घर के काम क…)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
पंजाब मैं औरतें दुपहर में मिलजुल बैठ हँसते, गाते, खेलते घर के काम करतीं हैं:-
+
[[[
 +
== पंजाबी लोकगीत  ==
 +
[[चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी]]
  
पंजाबी लोकगीत
+
चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी,
  
-तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए
+
तारया वे तेरी मेरी लो,  
कूं कूं चर्खया, मैं लाल पूणी कतां के न
+
दूर मेरे सवारे, दस वसां के न
+
  
-पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले
+
नी ओ ओ तारया वे तेरी मेरी लो,  
मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले
+
अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय
+
जदों दा चरखा डाया ए, सस्स नूं तरस न आया ए
+
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
+
  
-सरगी उठ मदानी रिड्कान, भरूं लस्सी दा छन्ना,
+
चन्न पकावे रोटियां,  
ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना,
+
 
बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए,
+
तारा करे रसो,  
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
+
 
 +
नी ओ ओ तारा करे रसो,
 +
 
 +
चन्न दियां पक्कियां खा लईयां,
 +
 
 +
तारे दियां रह गईयाँ दो,
 +
 
 +
नी ओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो,  
 +
 
 +
सस ने मैनू आख्या,
 +
 
 +
घ्यो विच आटा गो,
 +
 
 +
नी ओ ओ घ्यो विच आटा गो,
 +
 
 +
घ्यो विच आटा थोडा पया,
 +
 
 +
सस्स मैनू गलियां देवे,
 +
 
 +
नी ओ ओ सस्स मैनू गलियां देवे,
 +
 
 +
न दे सस्से गलियां,
 +
 
 +
एथे मेरी कौन सुणे
 +
 
 +
नी ओ ओ एथे मेरी कौन सुणे,
 
   
 
   
-चक्की मुड पे आता पीवन दोनों नन्द जिठानी
 
सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी
 
चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए
 
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
 
  
-सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ
+
बागे विच मेरा बापू खड़ा,
भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां
+
 
दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए
+
रो रो नीर भरे,  
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
+
 
 +
नी ओ ओ रो रो नीर भरे,
 +
 
 +
न रो बापू मेरेया,
 +
 
 +
इत्थे मेरा कौन सुणे,
 +
 
 +
नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे,
 +
 
 +
बागे  विच मेरा वडा भराह,
 +
 
 +
रो रो नीर भरे,
 +
 
 +
नी ओ ओ.  
 +
 
 +
रो रो नीर भरे.  
 +
 
 +
न रो वीरा आपने.
 +
 
 +
इत्थे मेरा कौन सुणे.
 +
 
 +
नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे.
 +
 
 +
न रो माये मेरिये.
 +
इत्थे मेरा कौन सुणे.
 +
 
 +
नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे.
 +
 
 +
चन्न दियां पक्कियां खा लईयां,
 +
 
 +
तारे दियां रह गईयाँ दो.  
  
-नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले
+
नी ओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो.  
साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया, हथीं पे गये छाले
+
शाबा सानुं शाबा, असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए,
+
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
+
  
-असीं निषंग मलंग बेलिया असीं निषंग मलंग
+
]]
सानु हसन खेडण भावे
+
कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए,
+
जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई,
+
दुद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई
+
-
+
रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए,
+
तिरंतन बैठिया नाराँ, भला जी झुरमुट पाया ए...
+

13:50, 1 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

[[[

पंजाबी लोकगीत

चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी

चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी,

तारया वे तेरी मेरी लो,

नी ओ ओ तारया वे तेरी मेरी लो,

चन्न पकावे रोटियां,

तारा करे रसो,

नी ओ ओ तारा करे रसो,

चन्न दियां पक्कियां खा लईयां,

तारे दियां रह गईयाँ दो,

नी ओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो,

सस ने मैनू आख्या,

घ्यो विच आटा गो,

नी ओ ओ घ्यो विच आटा गो,

घ्यो विच आटा थोडा पया,

सस्स मैनू गलियां देवे,

नी ओ ओ सस्स मैनू गलियां देवे,

न दे सस्से गलियां,

एथे मेरी कौन सुणे

नी ओ ओ एथे मेरी कौन सुणे,


बागे विच मेरा बापू खड़ा,

रो रो नीर भरे,

नी ओ ओ रो रो नीर भरे,

न रो बापू मेरेया,

इत्थे मेरा कौन सुणे,

नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे,

बागे विच मेरा वडा भराह,

रो रो नीर भरे,

नी ओ ओ.

रो रो नीर भरे.

न रो वीरा आपने.

इत्थे मेरा कौन सुणे.

नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे.

न रो माये मेरिये. इत्थे मेरा कौन सुणे.

नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे.

चन्न दियां पक्कियां खा लईयां,

तारे दियां रह गईयाँ दो.

नी ओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो.

]]