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"शब्द-शब्द अनमोल परिंदे / रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर

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सुन्दर बोली बोल परिंदे!
  
जीवन -जीवन भूलभुलैया -
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दुनिया गोलम- गोल परिंदे !!
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दुनिया गोलम-गोल परिंदे!
  
छोटा मुँह मत बात बड़ी कर -
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छोटा मुँह मत बात बड़ी कर  
खुल जायेगी पोल परिंदे !!
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खुल जाएगी पोल परिंदे!
  
शीशे के घर में रहकर ना -
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शीशे के घर में रहकर ना
पत्थर -पत्थर तोल परिंदे !!
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पत्थर-पत्थर तोल परिंदे!
  
बन्दर के हाथों में मत दे -
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बन्दर के हाथों में मत दे  
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झाल-मजीरा-ढोल परिंदे!
  
कुछ मन की मर्यादा रख ले -
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आंखों को मत घोल परिंदे !!
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आँखों को मत घोल परिंदे!
  
कुछ "प्रभात " के जैसा रच दे -
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21:38, 5 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

शब्द-शब्द अनमोल परिंदे,
सुन्दर बोली बोल परिंदे!

जीवन-जीवन भूलभुलैया
दुनिया गोलम-गोल परिंदे!

छोटा मुँह मत बात बड़ी कर
खुल जाएगी पोल परिंदे!

शीशे के घर में रहकर ना
पत्थर-पत्थर तोल परिंदे!

बन्दर के हाथों में मत दे
झाल-मजीरा-ढोल परिंदे!

कुछ मन की मर्यादा रख ले
आँखों को मत घोल परिंदे!

कुछ 'प्रभात' के जैसा रच दे
अंतर-पट अब खोल परिंदे!