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"काला शाह काला / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

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पुकारता चला हूँ मैं<br/>
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गली गली बहार की<br/>
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बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की<br/>
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बस इक निगाह प्यार की<br/>
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पुकारता चला हूँ मैं<br/>
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काला शाह काला, मेरा काला ई सरदार
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गोरेआं नु दफा करो, मैं आप तिल्ले दी तार
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काला शाह काला...
  
ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की<br/>
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सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो ऐबी दो शराबी
यहीं तो बात हो रही है काम की<br/>
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जेहड़ा मेरे हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरफ़<br/>
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काला शाह काला...
कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की<br/>
+
पुकारता चला हूँ मैं<br/>
+
  
सुनी मेरी सदा तो किस यक़ीन से<br/>
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सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो टीन दो कनस्तर
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे<br/>
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जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया ए दफ्तर
रही यही लगन तो ऐ दिल-ए-जवाँ<br/>
+
काला शाह काला...
असर भी हो रहेगा इक हसीन पे<br/>
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</poem>||width="300" bgcolor="CEF0FF"|<poem>मेरा पति काले रंग का है. 
पुकारता चला हूँ मैं
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गोरे रंग वाले लोगों को भगा दो(गोरे रंग वालों की ज़रुरत नहीं है). मैं खुद ही सोने की तार जैसे हूँ.
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सास तेरे पांच बेटे हैं. दो बुरे हैं और दो शराबी हैं
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(लेकिन) जो मेरा पति है वो खिले हुए गुलाब जैसा है
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सास तेरे पांच बेटे हैं. दो टीन हैं दो कनस्तर हैं(निक्कमे हैं)
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(लेकिन) जो मेरा पति है वो दफ्तर चला गया है
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</poem>
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|}

00:05, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काला शाह काला, मेरा काला ई सरदार
गोरेआं नु दफा करो, मैं आप तिल्ले दी तार
काला शाह काला...

सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो ऐबी दो शराबी
जेहड़ा मेरे हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी
काला शाह काला...

सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो टीन दो कनस्तर
जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया ए दफ्तर
काला शाह काला...

मेरा पति काले रंग का है.
गोरे रंग वाले लोगों को भगा दो(गोरे रंग वालों की ज़रुरत नहीं है). मैं खुद ही सोने की तार जैसे हूँ.

सास तेरे पांच बेटे हैं. दो बुरे हैं और दो शराबी हैं
(लेकिन) जो मेरा पति है वो खिले हुए गुलाब जैसा है

सास तेरे पांच बेटे हैं. दो टीन हैं दो कनस्तर हैं(निक्कमे हैं)
(लेकिन) जो मेरा पति है वो दफ्तर चला गया है