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"कोई रक्तपलाश / शांति सुमन" के अवतरणों में अंतर
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अबके इस होली में कोई रक्तपलाश खिले | अबके इस होली में कोई रक्तपलाश खिले | ||
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घाट नहाती लड़की जैसे | घाट नहाती लड़की जैसे | ||
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हुई अनमनी छाँहों वाली | हुई अनमनी छाँहों वाली | ||
गुमसुम लाल जवा | गुमसुम लाल जवा | ||
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राजमहल कैसे बन जाते कैसे बने किले | राजमहल कैसे बन जाते कैसे बने किले | ||
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अक्षर-अक्षर छींट गया है | अक्षर-अक्षर छींट गया है | ||
कोई सुबह उदासी | कोई सुबह उदासी | ||
घूँट-घूँट पानी से तर | घूँट-घूँट पानी से तर | ||
कर लेता रोटी बासी | कर लेता रोटी बासी | ||
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चिन्ता तो होती है, पर किससे वह करे गिले | चिन्ता तो होती है, पर किससे वह करे गिले | ||
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इस मौसम में फिर कोई | इस मौसम में फिर कोई | ||
जादू ऐसा जनमे | जादू ऐसा जनमे | ||
फागुन-फागुन हो जाए दिन | फागुन-फागुन हो जाए दिन | ||
परवत पीर कमे | परवत पीर कमे | ||
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+ | मजबूरी है वरना कोई कैसे नहीं मिले | ||
+ | रंग-रंग के मेले, मन के नियम नहीं बदले | ||
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(संग्रह - भीतर भीतर आग । २५ फरवरी, १९९७) | (संग्रह - भीतर भीतर आग । २५ फरवरी, १९९७) |
17:18, 25 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
अबके इस होली में कोई रक्तपलाश खिले
अनुबन्धों की याद दिलाए, पीत कनेर हिले
घाट नहाती लड़की जैसे
डूबी हुई हवा
हुई अनमनी छाँहों वाली
गुमसुम लाल जवा
राजमहल कैसे बन जाते कैसे बने किले
पेड़ों की मुण्डेर पर चिड़ियों के हैं पंख सिले
अक्षर-अक्षर छींट गया है
कोई सुबह उदासी
घूँट-घूँट पानी से तर
कर लेता रोटी बासी
चिन्ता तो होती है, पर किससे वह करे गिले
इंच-इंच बिक गया तपेसर होली कहाँ जले
इस मौसम में फिर कोई
जादू ऐसा जनमे
फागुन-फागुन हो जाए दिन
परवत पीर कमे
मजबूरी है वरना कोई कैसे नहीं मिले
रंग-रंग के मेले, मन के नियम नहीं बदले
(संग्रह - भीतर भीतर आग । २५ फरवरी, १९९७)