भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जायज-नाजायज / संध्या पेडणेकर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | <poem> | + | {{KKRachna |
+ | |रचनाकार=संध्या पेडणेकर | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
अपना है तो | अपना है तो | ||
− | + | जायज़ है | |
कभी स्वाभिमान है, | कभी स्वाभिमान है, | ||
कभी | कभी | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 14: | ||
सकारात्मक | सकारात्मक | ||
जिसका पोषण करना | जिसका पोषण करना | ||
− | + | ज़रूरी है | |
किसी और का हो | किसी और का हो | ||
तो | तो | ||
− | + | ग़ैरज़रूरी है, | |
− | + | नाजायज़ है | |
बेमतलब है | बेमतलब है | ||
अकारण है | अकारण है | ||
इसलिए | इसलिए | ||
− | + | येन-केन-प्रकारेण | |
− | अपनी | + | अपनी इज़्ज़त गिरवी रखकर ही सही |
उसे कुचलना चाहिए | उसे कुचलना चाहिए | ||
कहीं उसका अहंकार | कहीं उसका अहंकार | ||
− | अपने अहंकार | + | अपने अहंकार के आगे |
भारी पड़ा तो? | भारी पड़ा तो? | ||
− | दिखावटी टुच्ची | + | दिखावटी टुच्ची लड़ाई |
सच ने जीत ली तो? | सच ने जीत ली तो? | ||
− | नाक कट | + | नाक कट जाएगी, |
− | स्वाभिमान मिट | + | स्वाभिमान मिट जाएगा |
इसलिए | इसलिए | ||
− | + | नाजायज़ अहंकार को कुचलने के लिए | |
− | + | जायज़ अहंकार को बिछ जाना होगा | |
बेआबरू का सैलाब बह जाने देना होगा | बेआबरू का सैलाब बह जाने देना होगा | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 41: | ||
उसके अहंकार को | उसके अहंकार को | ||
कुचलना होगा | कुचलना होगा | ||
− | + | दफ़नाना होग | |
</poem> | </poem> |
20:31, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण
अपना है तो
जायज़ है
कभी स्वाभिमान है,
कभी
अस्मिता है
कभी और कुछ
सकारात्मक
जिसका पोषण करना
ज़रूरी है
किसी और का हो
तो
ग़ैरज़रूरी है,
नाजायज़ है
बेमतलब है
अकारण है
इसलिए
येन-केन-प्रकारेण
अपनी इज़्ज़त गिरवी रखकर ही सही
उसे कुचलना चाहिए
कहीं उसका अहंकार
अपने अहंकार के आगे
भारी पड़ा तो?
दिखावटी टुच्ची लड़ाई
सच ने जीत ली तो?
नाक कट जाएगी,
स्वाभिमान मिट जाएगा
इसलिए
नाजायज़ अहंकार को कुचलने के लिए
जायज़ अहंकार को बिछ जाना होगा
बेआबरू का सैलाब बह जाने देना होगा
हो सके तो
उसी सैलाब में
उसके अहंकार को
कुचलना होगा
दफ़नाना होग