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"कब वो सुनता है कहानी मेरी / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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और फिर वो भी ज़बानी मेरी
 
और फिर वो भी ज़बानी मेरी
  
ख़लिशे-ग़मज़ए-खूंरेज़ ना पूछ
+
ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़<ref>रक्तिम कटाक्ष की चुभन</ref> न पूछ
देख खूंनाबा-फ़िशानी<ref>खून का प्रवाह</ref> मेरी
+
देख ख़ूनाबा-फ़िशानी<ref>रक्त-अश्रु-बहाना</ref> मेरी
  
क्या बयां करके मेरा रोएंगे यार
+
क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर आशुफ़्ता-बयानी<ref>झूठी कहानी</ref> मेरी
+
मगर आशुफ़्ता-बयानी<ref>झूठी कहानी,बकवास</ref> मेरी
  
हूँ ज़ख़ुद-रफ़्ताए-बैदाए-ख़याल<ref>कल्पना के जंजाल में खोया हुआ</ref>
+
हूँ ज़िख़ुद-रफ़्ताए-बैदा-ए-ख़याल<ref>कल्पना के जंजाल में खोया हुआ</ref>
 
भूल जाना है निशानी मेरी
 
भूल जाना है निशानी मेरी
  
मुत्तक़ाबिल<ref>जो मुक़ाबले पर ना आ सके</ref> है मुक़ाबिल मेरा
+
मुत्तक़ाबिल<ref>जो मुक़ाबले पर आ सके</ref> है मुक़ाबिल<ref>प्रतिद्वन्द्वी</ref> मेरा
 
रुक गया देख रवानी मेरी
 
रुक गया देख रवानी मेरी
  
क़द्रे-संगे-सरे-रह रखता हूँ
+
क़द्रे-संगे-सरे-रह<ref>सड़क किनारे पड़े पत्थर जितनी कीमत</ref> रखता हूँ
सख़्त अरज़ां है गिरानी मेरी
+
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+
गर्द-बाद-ए-रहे-बेताबी<ref>बेचैनी की सड़क की आँधी</ref> हूँ
सरसरे शौक़ है बानी मेरी
+
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दहन उसका जो न मालूम हुआ
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+
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कर दिया ज़ो'फ़ ने आ़ज़िज़ "ग़ालिब"
+
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02:42, 14 मार्च 2010 के समय का अवतरण

कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी

ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़<ref>रक्तिम कटाक्ष की चुभन</ref> न पूछ
देख ख़ूनाबा-फ़िशानी<ref>रक्त-अश्रु-बहाना</ref> मेरी

क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर आशुफ़्ता-बयानी<ref>झूठी कहानी,बकवास</ref> मेरी

हूँ ज़िख़ुद-रफ़्ताए-बैदा-ए-ख़याल<ref>कल्पना के जंजाल में खोया हुआ</ref>
भूल जाना है निशानी मेरी

मुत्तक़ाबिल<ref>जो मुक़ाबले पर न आ सके</ref> है मुक़ाबिल<ref>प्रतिद्वन्द्वी</ref> मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी

क़द्रे-संगे-सरे-रह<ref>सड़क किनारे पड़े पत्थर जितनी कीमत</ref> रखता हूँ
सख़्त-अर्ज़ाँ<ref>तुच्छ</ref> है गिरानी<ref>महत्ता</ref> मेरी

गर्द-बाद-ए-रहे-बेताबी<ref>बेचैनी की सड़क की आँधी</ref> हूँ
सरसरे-शौक़<ref>जोश की आँधी</ref> है बानी<ref>विशेषता</ref> मेरी

दहन<ref>मुँह</ref> उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी हेच-मदानी<ref>मूर्खता</ref> मेरी

कर दिया ज़ओफ़<ref>निर्बलता</ref> ने आज़िज़<ref>तंग,दुखी
</ref> "ग़ालिब"
नंग-ए-पीरी<ref>बुढ़ापे को लज्जित करने वाली</ref> है जवानी मेरी

शब्दार्थ
<references/>