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"घर-बाहर / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर

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उड़ने की हुलस लिए फ़ाख़्ताओं ने
+
 
फ़र्श से छत तक
+
स्कूल
इस दीवार से उस दीवार तक
+
अस्पताल
भाँप लिया कमरे को
+
दफ़्तर
पर नीचे से ऊपर
+
काम करते हुए कहीं भी
दाँए से बाँए
+
या चलते हुए सड़क पर
उड़ती रहीं वे
+
मैं औरत होती हूँ
हाँप-हाँप कर थक जाने तक
+
****
पंखों के नुच जाने तक
+
झाड़ते-पोंछते
 +
बर्तन-भांडा करते
 +
उधड़ा हुआ सिलते
 +
राँधते-पकाते
 +
माँ होती हूँ
 
</poem>
 
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20:55, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


स्कूल
अस्पताल
दफ़्तर
काम करते हुए कहीं भी
या चलते हुए सड़क पर
मैं औरत होती हूँ


झाड़ते-पोंछते
बर्तन-भांडा करते
उधड़ा हुआ सिलते
राँधते-पकाते
माँ होती हूँ