"जहां तेरा नक़्शे-क़दम / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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− | जहां तेरा नक़्शे- | + | जहां तेरा नक़्शे-क़दम<ref>पदचिन्ह</ref> देखते हैं |
− | क़दम<ref>पदचिन्ह</ref> देखते हैं | + | |
ख़ियाबां-ख़ियाबां<ref>क्यारी-क्यारी</ref> इरम<ref>स्वर्ग</ref> देखते हैं | ख़ियाबां-ख़ियाबां<ref>क्यारी-क्यारी</ref> इरम<ref>स्वर्ग</ref> देखते हैं | ||
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तेरे सर्वे-क़ामत<ref>सर्व के पेड़ जैसा लंबा कद</ref> से इक क़द्दे-आदम<ref>मनुष्य के क़द जितना</ref> | तेरे सर्वे-क़ामत<ref>सर्व के पेड़ जैसा लंबा कद</ref> से इक क़द्दे-आदम<ref>मनुष्य के क़द जितना</ref> | ||
− | क़यामत के फ़ित्ने को कम देखते हैं | + | क़यामत के फ़ित्ने<ref>उपद्रव |
+ | </ref> को कम देखते हैं | ||
तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी<ref>आईना देखने में मस्त</ref> | तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी<ref>आईना देखने में मस्त</ref> | ||
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कि शब-रौ<ref>रात का राही</ref> का नक़्शे-क़दम देखते हैं | कि शब-रौ<ref>रात का राही</ref> का नक़्शे-क़दम देखते हैं | ||
− | + | बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब | |
तमाशा-ए-अहले-करम<ref>दानियों का तमाशा</ref> देखते हैं | तमाशा-ए-अहले-करम<ref>दानियों का तमाशा</ref> देखते हैं | ||
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15:18, 1 जून 2010 के समय का अवतरण
जहां तेरा नक़्शे-क़दम<ref>पदचिन्ह</ref> देखते हैं
ख़ियाबां-ख़ियाबां<ref>क्यारी-क्यारी</ref> इरम<ref>स्वर्ग</ref> देखते हैं
दिल-आशुफ़्तगां<ref>परेशान-हाल</ref> ख़ाले-कुंजे-दहन<ref>अधर के कोने का तिल</ref> के
सुवैदा<ref>दिल का दाग़</ref> में सैरे-अ़दम<ref>अनस्तित्व का तमाशा</ref> देखते हैं
तेरे सर्वे-क़ामत<ref>सर्व के पेड़ जैसा लंबा कद</ref> से इक क़द्दे-आदम<ref>मनुष्य के क़द जितना</ref>
क़यामत के फ़ित्ने<ref>उपद्रव
</ref> को कम देखते हैं
तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी<ref>आईना देखने में मस्त</ref>
तुझे किस तमन्ना से हम देखते हैं
सुराग़े-तुफ़े-नाला<ref>आह की गर्मी का पता</ref> ले दाग़े-दिल से
कि शब-रौ<ref>रात का राही</ref> का नक़्शे-क़दम देखते हैं
बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहले-करम<ref>दानियों का तमाशा</ref> देखते हैं