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"छठे तत्व के कारण / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

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== छठे तत्व के कारण <poem>
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|रचनाकार=कुमार सुरेश
 
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</एक दिन सब कुछ बदल जायेगा  
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एक दिन सब कुछ बदल जायेगा  
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समुद्र आसमान धरती  
 
समुद्र आसमान धरती  
 
सारा आँख भर परिदृश्य  
 
सारा आँख भर परिदृश्य  
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नदियाँ भाप बन जाएँगी  
 
नदियाँ भाप बन जाएँगी  
 
जमीं आग  
 
जमीं आग  
आसमान कला रंग जायेगा  
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आसमान काला रंग जायेगा  
हम बदल जायेंगे
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हम बदल जाएंगे
 
मूल तत्वों मैं  
 
मूल तत्वों मैं  
  
प्रेम बदल जायेगा
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प्रेम बदल जाएगा
चुम्बक या ब्लैक होले में
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चुम्बक या ब्लैक होल में
  
 
लेकिन यह तय है  
 
लेकिन यह तय है  
 
किसी न किसी रूप में  
 
किसी न किसी रूप में  
बाकि रहेगे पानी धरती आकाश हवा आग  
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बाक़ी रहेगे पानी धरती आकाश हवा आग  
 
और प्रेम  
 
और प्रेम  
 
कुछ भी कभी नष्ट नहीं होता  
 
कुछ भी कभी नष्ट नहीं होता  
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सृजित कर लेगा नयी सृष्टि  
 
सृजित कर लेगा नयी सृष्टि  
 
इस छठे तत्व के कारण  
 
इस छठे तत्व के कारण  
सब कुछ पहले सा हो जायेगा एक दिन  
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सब कुछ पहले-सा हो जायेगा एक दिन  
 
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22:05, 2 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

एक दिन सब कुछ बदल जायेगा
लोग दिखाई देते हैं वे सभी
समुद्र आसमान धरती
सारा आँख भर परिदृश्य

नदियाँ भाप बन जाएँगी
जमीं आग
आसमान काला रंग जायेगा
हम बदल जाएंगे
मूल तत्वों मैं

प्रेम बदल जाएगा
चुम्बक या ब्लैक होल में

लेकिन यह तय है
किसी न किसी रूप में
बाक़ी रहेगे पानी धरती आकाश हवा आग
और प्रेम
कुछ भी कभी नष्ट नहीं होता

पञ्च तत्वों के सयोंग से प्रेम
सृजित कर लेगा नयी सृष्टि
इस छठे तत्व के कारण
सब कुछ पहले-सा हो जायेगा एक दिन