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अस्वीकरण
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ख़लिश / हरकीरत हकीर
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10:29, 3 अप्रैल 2010
<Poem>
यूँ क़रीब से
न
गज़रा
गुज़रा
कर
अय सबा!
अनिल जनविजय
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