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"मेरा भी तो मन करता है / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर
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मेरा भी तो मन करता है | मेरा भी तो मन करता है | ||
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मैं भी पढ़ने जाऊँ | मैं भी पढ़ने जाऊँ | ||
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अच्छे कपड़े पहन | अच्छे कपड़े पहन | ||
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पीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ | पीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ | ||
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क्यों अम्मा औरों के घर | क्यों अम्मा औरों के घर | ||
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झाडू-पोंछा करती है | झाडू-पोंछा करती है | ||
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बर्तन मलती, कपड़े धोती | बर्तन मलती, कपड़े धोती | ||
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पानी भी भरती है | पानी भी भरती है | ||
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अम्मा कहती रोज | अम्मा कहती रोज | ||
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`बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ' | `बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ' | ||
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लेकिन मेरा मन कहता है | लेकिन मेरा मन कहता है | ||
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`अम्मा मुझे पढाओ' | `अम्मा मुझे पढाओ' | ||
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कल्लन कल बोला- | कल्लन कल बोला- | ||
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बच्चू! मत देखो ऐसे सपने | बच्चू! मत देखो ऐसे सपने | ||
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दूर बहुत है चाँद | दूर बहुत है चाँद | ||
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हाथ हैं छोटे-छोटे अपने | हाथ हैं छोटे-छोटे अपने | ||
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लेकिन मैंने सुना | लेकिन मैंने सुना | ||
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हमारे लिए बहुत कुछ आता | हमारे लिए बहुत कुछ आता | ||
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हमें नहीं मिलता | हमें नहीं मिलता | ||
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रस्ते में कोई चट कर जाता | रस्ते में कोई चट कर जाता | ||
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डौली कहती है | डौली कहती है | ||
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बच्चों की बहुत किताबें छपती | बच्चों की बहुत किताबें छपती | ||
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सजी- धजी दूकानों में | सजी- धजी दूकानों में | ||
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शीशे के भीतर रहतीं | शीशे के भीतर रहतीं | ||
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मिल पातीं यदि हमें किताबें | मिल पातीं यदि हमें किताबें | ||
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सुन्दर चित्रों वाली | सुन्दर चित्रों वाली | ||
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फिर तो अपनी भी यूँ ही | फिर तो अपनी भी यूँ ही | ||
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होती कुछ बात निराली।। | होती कुछ बात निराली।। | ||
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06:40, 2 मई 2023 के समय का अवतरण
मेरा भी तो मन करता है
मैं भी पढ़ने जाऊँ
अच्छे कपड़े पहन
पीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ
क्यों अम्मा औरों के घर
झाडू-पोंछा करती है
बर्तन मलती, कपड़े धोती
पानी भी भरती है
अम्मा कहती रोज
`बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ'
लेकिन मेरा मन कहता है
`अम्मा मुझे पढाओ'
कल्लन कल बोला-
बच्चू! मत देखो ऐसे सपने
दूर बहुत है चाँद
हाथ हैं छोटे-छोटे अपने
लेकिन मैंने सुना
हमारे लिए बहुत कुछ आता
हमें नहीं मिलता
रस्ते में कोई चट कर जाता
डौली कहती है
बच्चों की बहुत किताबें छपती
सजी- धजी दूकानों में
शीशे के भीतर रहतीं
मिल पातीं यदि हमें किताबें
सुन्दर चित्रों वाली
फिर तो अपनी भी यूँ ही
होती कुछ बात निराली।।