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"फूस–पत्ते अगर नहीं मिलते / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

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फूस–पत्ते अगर नहीं मिलते
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फूस – पत्ते  अगर नहीं मिलते
कितने लोगों को घर नहीं मिलते।
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जाने कितनों  को घर नहीं मिलते।
देखना चाहते हैं हम जिनको
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स्वप्न वो रात भर नहीं मिलते।
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देखना चाहते हैं हम जिनको
जंगलों में भी जाके ढूँढ़ो तो
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स्वप्न वो रात भर नहीं मिलते।
इस क़दर जानवर नहीं मिलते।
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दूर परदेश के अतिथियों से
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जंगलों में भी जाके ढूँढ़ो तो
दौड़कर के नगर नहीं मिलते।
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इस क़दर जानवर नहीं मिलते।
चाहती हैं जो बाँटना खुशबू
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उन हवाओं को ‘पर’ नहीं मिलते।
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दूर परदेश के अतिथियों से
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दौड़कर ये  नगर नहीं मिलते।
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चाहती हैं जो बाँटना खुशबू
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उन हवाओं को‘पर’नहीं मिलते।
 
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20:54, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण


फूस – पत्ते अगर नहीं मिलते
जाने कितनों को घर नहीं मिलते।

देखना चाहते हैं हम जिनको
स्वप्न वो रात भर नहीं मिलते।

जंगलों में भी जाके ढूँढ़ो तो
इस क़दर जानवर नहीं मिलते।

दूर परदेश के अतिथियों से
दौड़कर ये नगर नहीं मिलते।

चाहती हैं जो बाँटना खुशबू
उन हवाओं को‘पर’नहीं मिलते।