भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्वतन्त्र भारत / श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <Poem> महर्ष…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'  
 
|रचनाकार=श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'  
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
}}
+
}}{{KKCatKavita}}
 +
{{KKAnthologyDeshBkthi}}
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 
<Poem>
 
<Poem>

01:44, 21 मई 2011 के समय का अवतरण

महर्षि मोहन के मुख से निकला, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
सचेत होकर सुना सभी ने, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
रहा हमेशा स्वतन्त्र भारत, रहेगा फिर भी स्वतन्त्र भारत।
कहेंगे जेलों में बैठकर भी, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
कुमारि, हिमगिरि, अटक, कटक में, बजेगा डंका स्वतन्त्रता का।
कहेंगे तैतिस करोड़ मिलकर, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।

रचनाकाल : 1922