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"पानी / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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इसे उड़ेलती है | इसे उड़ेलती है | ||
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और पिछले कई दिनों की | और पिछले कई दिनों की | ||
उदासी के बाद | उदासी के बाद | ||
− | मुसकुरा सकता | + | मुसकुरा सकता हूँ |
यह | यह | ||
− | दुनिया की हर उदास | + | दुनिया की हर उदास चीज़ को |
देता है अपनी चमक | देता है अपनी चमक | ||
− | पानी जब | + | पानी जब हँसता है |
समय एक कमल की तरह लगता है | समय एक कमल की तरह लगता है | ||
− | सुन्दर और | + | सुन्दर और ताज़ा |
पानी जब क्रोध में हिलता है | पानी जब क्रोध में हिलता है | ||
− | वह एक निर्णायक | + | वह एक निर्णायक तारीख़ होती है |
यह | यह | ||
− | पृथ्वी की | + | पृथ्वी की आँख में भरा है |
उसके सपनों को | उसके सपनों को | ||
− | हरा रखने के | + | हरा रखने के लिए। |
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19:39, 1 मई 2010 के समय का अवतरण
यह एक आईना है
सबसे पहले
सूर्य देखता है
इसमें अपना चेहरा
फिर पेड़ झाँकते हैं
और एक चिड़िया चोंच मारकर
इसे उड़ेलती है
अपने कंठ में
मैं इसमें देख सकता हूं
अपना चेहरा
और पिछले कई दिनों की
उदासी के बाद
मुसकुरा सकता हूँ
यह
दुनिया की हर उदास चीज़ को
देता है अपनी चमक
पानी जब हँसता है
समय एक कमल की तरह लगता है
सुन्दर और ताज़ा
पानी जब क्रोध में हिलता है
वह एक निर्णायक तारीख़ होती है
यह
पृथ्वी की आँख में भरा है
उसके सपनों को
हरा रखने के लिए।