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"बरखा का एक दिन / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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हवा बही जब बड़े ज़ोर से
 
हवा बही जब बड़े ज़ोर से
 
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
 
बरसी वर्षा झम-झमा-झम

19:08, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण

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»  बरखा का एक दिन

हवा बही जब बड़े ज़ोर से
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
मन में उठी कुछ ऐसी झंझा
दिल थाम कर रह गए हम

गरजे मेघा झूम-झूम कर
जैसे बजा रहे हों साज
ता-ता थैया नाचे धरती
ख़ुशियाँ मना रही वह आज

भीग रही बरखा के जल में
तेरी कोमल चंदन-काया
मन मेरा हुलस रहा, सजनी
घेरे है रति की माया