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प्रकृति के दफ़्तर में / शरद कोकास
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21:06, 12 मई 2010
काम के घंटों में परिवर्तन ज़रूरी है
यह नई व्यवस्था की माँग है
बरखा , बादल, धूप , ओस , चाँदनी
सब किसी न किसी के अधीनस्थ
बंधी-बंधाई पालियों में
अनिल जनविजय
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