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"मदिराधर कर पान / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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11:28, 19 मई 2010 के समय का अवतरण
मदिराधर कर पान
नहीं रहता फिर जग का ज्ञान!
आता जब निज ध्यान
सहज कुंठित हो उठते प्राण!
जाग्रत विस्मृत साथ
सतत जो रहता, वह अविकार!
वृद्ध उमर भी माथ
नवाता उसे सखे, साभार!