भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सब कुछ कृष्णार्पणम्, सब कुछ कृष्णार्पणम् / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
ज्ञान-ध्यान, शक्ति-श्रम
 
ज्ञान-ध्यान, शक्ति-श्रम
 
राग-द्वेष, मोह-भ्रम
 
राग-द्वेष, मोह-भ्रम
दाह, दीनता, अहम्‌
+
दाह, दीनता, अहम्
 
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 
सब कुछ कृष्णार्पणम्
  
पंक्ति 24: पंक्ति 24:
 
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 
सब कुछ कृष्णार्पणम्
  
सत्‌, असत्‌, अहम्‌, इदम्‌,
+
सत्‌, असत्‌, अहम्‌, इदम्‌
 
वृत्ति उच्च या अधम
 
वृत्ति उच्च या अधम
 
सुंदरम्‌ असुंदरम्‌
 
सुंदरम्‌ असुंदरम्‌
 +
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 +
 +
व्यर्थ जन्म-मृत्यु-क्रम
 +
ईति-भीति, त्रास-तम
 +
रोग-शोक, दुख चरम‌
 +
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 +
 +
भेद बुद्धि के अलम्
 +
जप-तप आगम-निगम
 +
मंत्र अब यही परम‌
 +
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 +
 +
पाँव क्यों न जाए थम
 +
मार्ग चल रहा स्वयं
 +
मुक्त, आज मुक्त हम‌
 
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 
सब कुछ कृष्णार्पणम्
 
<poem>
 
<poem>

03:40, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


सब कुछ कृष्णार्पणम्, सब कुछ कृष्णार्पणम्

ज्ञान-ध्यान, शक्ति-श्रम
राग-द्वेष, मोह-भ्रम
दाह, दीनता, अहम्
सब कुछ कृष्णार्पणम्

भोग-योग, यम-नियम
श्रेय, प्रेय, प्रेयतम
लाभ-हानि, सम-विषम
सब कुछ कृष्णार्पणम्

भव-विभव, अधिक कि कम
शिव-अशिव, शुभाशुभम्‌
प्राप्त जो अगम, सुगम
सब कुछ कृष्णार्पणम्

सत्‌, असत्‌, अहम्‌, इदम्‌
वृत्ति उच्च या अधम
सुंदरम्‌ असुंदरम्‌
सब कुछ कृष्णार्पणम्

व्यर्थ जन्म-मृत्यु-क्रम
ईति-भीति, त्रास-तम
रोग-शोक, दुख चरम‌
सब कुछ कृष्णार्पणम्

भेद बुद्धि के अलम्
जप-तप आगम-निगम
मंत्र अब यही परम‌
सब कुछ कृष्णार्पणम्

पाँव क्यों न जाए थम
मार्ग चल रहा स्वयं
मुक्त, आज मुक्त हम‌
सब कुछ कृष्णार्पणम्