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"अयि मानस-कमल-विहारिणी! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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मानव-शिशु रोता था कातर | मानव-शिशु रोता था कातर | ||
उतरी ज्योति सत्य, शिव, सुन्दर | उतरी ज्योति सत्य, शिव, सुन्दर | ||
− | तू भय-शोक-निवारिणी | + | तू भय-शोक-निवारिणी |
देख प्रभामय तेरी मुख-छवि | देख प्रभामय तेरी मुख-छवि | ||
नाच उठे भू, गगन, चन्द्र, रवि | नाच उठे भू, गगन, चन्द्र, रवि | ||
चिति की चिति तू कवियों की कवि | चिति की चिति तू कवियों की कवि | ||
− | अमित रूप विस्तारिणी | + | अमित रूप विस्तारिणी |
तेरे मधुर स्वरों से मोहित | तेरे मधुर स्वरों से मोहित | ||
काल अशेष शेष-सा नर्तित | काल अशेष शेष-सा नर्तित | ||
आदि-शक्ति तू अणु-अणु में स्थित | आदि-शक्ति तू अणु-अणु में स्थित | ||
− | जन-जन-मंगलकारिणी | + | जन-जन-मंगलकारिणी |
अयि मानस-कमल-विहारिणी! | अयि मानस-कमल-विहारिणी! | ||
हंस-वाहिनी! माँ सरस्वती! वीणा-पुस्तक-धारिणी! | हंस-वाहिनी! माँ सरस्वती! वीणा-पुस्तक-धारिणी! | ||
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05:27, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
अयि मानस-कमल-विहारिणी!
हंस-वाहिनी! माँ सरस्वती! वीणा-पुस्तक-धारिणी!
शून्य अजान सिन्धु के तट पर
मानव-शिशु रोता था कातर
उतरी ज्योति सत्य, शिव, सुन्दर
तू भय-शोक-निवारिणी
देख प्रभामय तेरी मुख-छवि
नाच उठे भू, गगन, चन्द्र, रवि
चिति की चिति तू कवियों की कवि
अमित रूप विस्तारिणी
तेरे मधुर स्वरों से मोहित
काल अशेष शेष-सा नर्तित
आदि-शक्ति तू अणु-अणु में स्थित
जन-जन-मंगलकारिणी
अयि मानस-कमल-विहारिणी!
हंस-वाहिनी! माँ सरस्वती! वीणा-पुस्तक-धारिणी!