"अल्लाह का मंदिर / विजय कुमार पंत" के अवतरणों में अंतर
Aditi kailash (चर्चा | योगदान) |
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वहां | वहां | ||
लोग तुम्हारा | लोग तुम्हारा | ||
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हिन्दू मुस्लिम सभी | हिन्दू मुस्लिम सभी | ||
− | + | सर्युं से खून | |
भरते हैं | भरते हैं | ||
जब आना तो | जब आना तो |
19:44, 30 मई 2010 के समय का अवतरण
राम
तुम आना
साथ में
खुदा को लेकर
पश्चिम
से आना
सुना है इशु
वहां रहते हैं
कभी कभी
एक गरीब के घर
को तोड़ते
बम कहते हैं ,
तुम आना
बर्मा होते हुए
बुद्ध को साथ ले आना
वो सड़कों पर
कहीं पड़े मिल
जायेंगे
तुम आओगे
तो वाहे गुरु
ज़रूर आएंगे
वरना वो आना
नहीं चाहते
क्योंकि
लोग उनको सचमुच
बुलाना नहीं चाहते
अगर आ जाओ
तो अयोध्या मत जाना
वहां
लोग तुम्हारा
व्यापार करते हैं
हिन्दू मुस्लिम सभी
सर्युं से खून
भरते हैं
जब आना तो
कश्मीर जाना
जहाँ एक गरीब माँ
का पूरा खानदान
मलवे में दबा है
वो आप सब लोगों से खफा है
उसको मुस्कराहट देने
का काम एक अदद करना
उसके दिल मे
एक मंदिर
बनाने में अल्लाह
की मदद
करना...