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"लहर तीर पर पहुँचकर खुशी से चिल्लायी, -- / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
 
  
लहर तीर पर पहुँचकर खुशी से चिल्लायी, --
 
'मैं जीवन की बाजी जीत गयी,'
 
तभी सागर के तल से आवाज आयी--
 
'अब लौट भी आ,
 
तेरी अवधि बीत गयी!'
 
<poem>
 

02:32, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण