भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मौत ने अपनी / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: रचनाकार: ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' Category:ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' [[Category:...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
+ | |रचनाकार=ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' | ||
+ | }}{{KKAnthologyDeath}} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
मौत ने अपनी तरफ़ जब डोर पूरी खींच ली | मौत ने अपनी तरफ़ जब डोर पूरी खींच ली | ||
02:04, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
मौत ने अपनी तरफ़ जब डोर पूरी खींच ली
ज़िंदगी उस मोड़ पर तूने मुझे आवाज़ दी
जिसके मंसूबों के आगे मेघ भी बौने लगे
क्या कभी देखी भी है उस शख्स़ की बेचारगी
चन्द घड़ियों के लिये बगिया में बिखरी थी बहार
उम्र भर हर रोज़ पतझर ने उतारी आरती
जिसके दिल में दर्द, आँखों में नमी, लब पर लिहाज़
गीत है हर बोल उसका, हर सुखन है शायरी
उस परिन्दे को उड़ाना चाहते हो तुम पराग
रास आई जिसको पिंजरे की अँधेरी त्रासदी