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<poem>बात बोलेगी,<br> :हम नहीं।<br> भेद खोलेगी<br> :बात ही।<br>
सत्य का मुख<br>:झूठ की आँखें<br>:क्या-देखें!<br>
सत्य का रूख़<br>:समय का रूख़ हैः<br>अभय जनता को<br>:सत्य ही सुख है<br>:सत्य ही सुख।<br>
दैन्य दानव; काल<br>भीषण; क्रूर<br>स्थिति; कंगाल<br>बुद्धि; घर मजूर।<br>
सत्य का<br>:क्या रंग है?-<br>पूछो<br>:एक संग।<br>एक-जनता का<br>:दुःख : एक।<br>हवा में उड़ती पताकाएँ<br>:अनेक।<br>
दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।<br>:कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।<br>एक जनता का - अमर वर :<br>एकता का स्वर।<br>
-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।
</poem>
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