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"तेरी मेरी सबकी बात / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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जलसे, नारे, घूसे, लात |
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जलसे, नारे, घूसे, लात
  
 
विगलित मन अंधा चेतन,  
 
विगलित मन अंधा चेतन,  
मेरी तेरी सबकी बात|
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मेरी तेरी सबकी बात
 
   
 
   
 
सूरज को भी नहीं पता,
 
सूरज को भी नहीं पता,
निशा निरापद, अटल प्रभात|
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निशा निरापद, अटल प्रभात
  
 
लंगड़े तर्क, दिलों मे फर्क,
 
लंगड़े तर्क, दिलों मे फर्क,
तारों की कुंठित बारात
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तारों की कुंठित बारात
  
पल भर चमके लुप्त हो गये,  
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पल भर चमके लुप्त हो गए,  
जुगनू जैसी काली रात |
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सिस्टम ये बदलेंगी यारों  
 
सिस्टम ये बदलेंगी यारों  
लंगडी, लूली, शिष्ट जमात |</poem>
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लंगडी, लूली, शिष्ट जमात
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12:10, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

बुनियादी हक़ ? झूठी बात,
जलसे, नारे, घूसे, लात ।

विगलित मन अंधा चेतन,
मेरी तेरी सबकी बात ।
 
सूरज को भी नहीं पता,
निशा निरापद, अटल प्रभात ।

लंगड़े तर्क, दिलों मे फर्क,
तारों की कुंठित बारात ।

पल भर चमके लुप्त हो गए,
जुगनू जैसी काली रात ।

सिस्टम ये बदलेंगी यारों
लंगडी, लूली, शिष्ट जमात ।