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"यह किसका मन डोला / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
मृदुल पुतलियों के उछाल पर,
 
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पलकों के हिलते तमाल पर,
 
पलकों के हिलते तमाल पर,
 
 
नि:श्वासों के ज्वाल-जाल पर,
 
नि:श्वासों के ज्वाल-जाल पर,
 
 
कौन लिख रहा व्यथा कथा?
 
कौन लिख रहा व्यथा कथा?
 
  
 
किसका धीरज `हाँ' बोला?
 
किसका धीरज `हाँ' बोला?
 
 
किस पर बरस पड़ीं यह घड़ियाँ
 
किस पर बरस पड़ीं यह घड़ियाँ
 
 
यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
  
 
कस्र्णा के उलझे तारों से,
 
कस्र्णा के उलझे तारों से,
 
 
विवश बिखरती  मनुहारों से,
 
विवश बिखरती  मनुहारों से,
 
 
आशा के टूटे द्वारों से-
 
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झाँक-झाँककर, तरल शाप में-
 
झाँक-झाँककर, तरल शाप में-
 
  
 
किसने यों वर घोला
 
किसने यों वर घोला
 
 
कैसे काले दाग पड़ गये!
 
कैसे काले दाग पड़ गये!
 
 
यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
  
 
फूटे क्यों अभाव के छाले,
 
फूटे क्यों अभाव के छाले,
 
 
पड़ने लगे ललक के लाले,
 
पड़ने लगे ललक के लाले,
 
 
यह कैसे सुहाग पर ताले!
 
यह कैसे सुहाग पर ताले!
 
 
अरी मधुरिमा पनघट पर यह-
 
अरी मधुरिमा पनघट पर यह-
 
  
 
घट का बंधन खोला?
 
घट का बंधन खोला?
 
 
गुन की फाँसी टूटी लखकर
 
गुन की फाँसी टूटी लखकर
 
 
यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
  
 
अंधकार के श्याम तार पर,
 
अंधकार के श्याम तार पर,
 
 
पुतली का वैभव निखारकर,
 
पुतली का वैभव निखारकर,
 
 
वेणी की गाँठें सँवारकर,
 
वेणी की गाँठें सँवारकर,
 
 
चाँद और तम में प्रिय कैसा-
 
चाँद और तम में प्रिय कैसा-
 
  
 
यह रिश्ता मुँह-बोला?
 
यह रिश्ता मुँह-बोला?
 
 
वेणु और वेणी में झगड़ा
 
वेणु और वेणी में झगड़ा
 
 
यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
  
 
बेचारा गुलाब था चटका
 
बेचारा गुलाब था चटका
 
 
उससे भूमि-कम्प का झटका
 
उससे भूमि-कम्प का झटका
 
 
लेखा, और सजनि घट-घट का!
 
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यह धीरज, सतपुड़ा शिखर-
 
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सा स्थिर, हो गया हिंडोला,
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फूलों के रेशे की फाँसी
 
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यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
  
 
एक आँख में सावन छाया,
 
एक आँख में सावन छाया,
 
 
दूजी में भादों भर आया
 
दूजी में भादों भर आया
 
 
घड़ी झड़ी थी, झड़ी घड़ी थी
 
घड़ी झड़ी थी, झड़ी घड़ी थी
 
 
गरजन, बरसन, पंकिल, मलजल,
 
गरजन, बरसन, पंकिल, मलजल,
 
  
 
छुपा `सुवर्ण खटोला'
 
छुपा `सुवर्ण खटोला'
 
 
रो-रो खोया चाँद हाय री?
 
रो-रो खोया चाँद हाय री?
 
 
यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
 
 
  
 
मैं बरसी तो बाढ़ मुझी में?
 
मैं बरसी तो बाढ़ मुझी में?
 
 
दीखे आँखों, दूखे जी में
 
दीखे आँखों, दूखे जी में
 
 
यह दूरी करनी, कथनी में
 
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दैव, स्नेह के अन्तराल से
 
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गरल गले चढ़ बोला
 
गरल गले चढ़ बोला
 
 
मैं साँसों के पद सुहला ली
 
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यह किसका मन डोला?
 
यह किसका मन डोला?
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11:59, 6 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

यह किसका मन डोला?
मृदुल पुतलियों के उछाल पर,
पलकों के हिलते तमाल पर,
नि:श्वासों के ज्वाल-जाल पर,
कौन लिख रहा व्यथा कथा?

किसका धीरज `हाँ' बोला?
किस पर बरस पड़ीं यह घड़ियाँ
यह किसका मन डोला?

कस्र्णा के उलझे तारों से,
विवश बिखरती मनुहारों से,
आशा के टूटे द्वारों से-
झाँक-झाँककर, तरल शाप में-

किसने यों वर घोला
कैसे काले दाग पड़ गये!
यह किसका मन डोला?

फूटे क्यों अभाव के छाले,
पड़ने लगे ललक के लाले,
यह कैसे सुहाग पर ताले!
अरी मधुरिमा पनघट पर यह-

घट का बंधन खोला?
गुन की फाँसी टूटी लखकर
यह किसका मन डोला?

अंधकार के श्याम तार पर,
पुतली का वैभव निखारकर,
वेणी की गाँठें सँवारकर,
चाँद और तम में प्रिय कैसा-

यह रिश्ता मुँह-बोला?
वेणु और वेणी में झगड़ा
यह किसका मन डोला?

बेचारा गुलाब था चटका
उससे भूमि-कम्प का झटका
लेखा, और सजनि घट-घट का!
यह धीरज, सतपुड़ा शिखर-

सा स्थिर, हो गया हिंडोला,
फूलों के रेशे की फाँसी
यह किसका मन डोला?

एक आँख में सावन छाया,
दूजी में भादों भर आया
घड़ी झड़ी थी, झड़ी घड़ी थी
गरजन, बरसन, पंकिल, मलजल,

छुपा `सुवर्ण खटोला'
रो-रो खोया चाँद हाय री?
यह किसका मन डोला?

मैं बरसी तो बाढ़ मुझी में?
दीखे आँखों, दूखे जी में
यह दूरी करनी, कथनी में
दैव, स्नेह के अन्तराल से

गरल गले चढ़ बोला
मैं साँसों के पद सुहला ली
यह किसका मन डोला?