भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"काहे करी सगाई बाबा / राजेन्द्र स्वर्णकार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र स्वर्णकार |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> हमसे कौ…)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
हो अब तो सुनवाई बाबा !
 
हो अब तो सुनवाई बाबा !
  
सबकी सुनता ; हमरी अब तक
+
सबकी सुनता, हमरी अब तक
 
बारी क्यों न आई बाबा ?
 
बारी क्यों न आई बाबा ?
  
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
तनिक रहम न खाई बाबा ?
 
तनिक रहम न खाई बाबा ?
  
इक बारी मं कान न ढेरे  
+
इक बारी में कान न ढेरे  
 
कितनी बार बताई बाबा ?
 
कितनी बार बताई बाबा ?
  
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
  
 
तीन छोकरा, इक घरवाली,
 
तीन छोकरा, इक घरवाली,
है इक हमरी माई ; बाबा !
+
है इक हमरी माई-बाबा !
  
 
पर… इनकी खातिर भी हमरी  
 
पर… इनकी खातिर भी हमरी  
पंक्ति 38: पंक्ति 38:
 
बिना मजूरी गाड़ी घर की  
 
बिना मजूरी गाड़ी घर की  
 
कैसन बता चलाई बाबा ?
 
कैसन बता चलाई बाबा ?
 +
 +
हमरा कौनो और न जग में
 +
हम सबका अजमाई बाबा !
 +
 +
न हमरा अपना भैया है,
 +
न जोरू का भाई, बाबा !
 +
 +
और मुई दुनिया आगे हम
 +
हाथ नहीं फैलाई बाबा !
 +
 +
जानके भी अनजान बने,  है
 +
इसमें तो'र बड़ाई बाबा ?
 +
 +
नींद में हो का बहरे हो ? हम
 +
कितना ढोल बजाई बाबा ?
 +
 +
हम भी ज़िद का पूरा पक्का
 +
गरदन इहां कटाई बाबा !
 +
 +
तुम्हरी चौखट छोड़' न दूजी
 +
चौखट हम भी जाई बाबा !
 +
 +
कहदे, हमरी कब तक होगी
 +
यूं ही हाड-पिंजाई बाबा ?
 +
 +
बोल ! बता, राजेन्द्र में का है
 +
ऐसन बुरी बुराई बाबा
 
</poem>
 
</poem>

13:20, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

हमसे कौन लड़ाई बाबा ?
हो अब तो सुनवाई बाबा !

सबकी सुनता, हमरी अब तक
बारी क्यों न आई बाबा ?

हमसे नाइंसाफ़ी करते '
तनिक रहम न खाई बाबा ?

इक बारी में कान न ढेरे
कितनी बार बताई बाबा ?

बार-बार का बोलें ? सुसरी
हमसे हो न ढिठाई बाबा !

नहीं अनाड़ी तुम कोई; हम
तुमको का समझाई बाबा ?

दु:ख से हमरा कौन मेल था,
काहे करी सगाई बाबा ?

बिन बेंतन ही सुसरी हमरी
पग-पग होय ठुकाई बाबा !

तीन छोकरा, इक घरवाली,
है इक हमरी माई-बाबा !

पर… इनकी खातिर भी हमरी
कौड़ी नहीं कमाई बाबा !

बिना मजूरी गाड़ी घर की
कैसन बता चलाई बाबा ?

हमरा कौनो और न जग में
हम सबका अजमाई बाबा !

न हमरा अपना भैया है,
न जोरू का भाई, बाबा !

और मुई दुनिया आगे हम
हाथ नहीं फैलाई बाबा !

जानके भी अनजान बने, है
इसमें तो'र बड़ाई बाबा ?

नींद में हो का बहरे हो ? हम
कितना ढोल बजाई बाबा ?

हम भी ज़िद का पूरा पक्का
गरदन इहां कटाई बाबा !

तुम्हरी चौखट छोड़' न दूजी
चौखट हम भी जाई बाबा !

कहदे, हमरी कब तक होगी
यूं ही हाड-पिंजाई बाबा ?

बोल ! बता, राजेन्द्र में का है
ऐसन बुरी बुराई बाबा