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"मानसून का पहला पानी / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
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याद वही सब करता है | याद वही सब करता है | ||
जो याद नहीं अब, फिर भी रह-रह बजता है | जो याद नहीं अब, फिर भी रह-रह बजता है | ||
− | ज्यों काँसे की गागर पर | + | ज्यों काँसे की गागर पर बजती हों बूँदें । |
वह गागर, यों तो फूट चुकी है अब कब की, | वह गागर, यों तो फूट चुकी है अब कब की, | ||
पर रक्खी है फिर भी सहेजकर पेटी में । | पर रक्खी है फिर भी सहेजकर पेटी में । | ||
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22:25, 21 जून 2010 के समय का अवतरण
मानसून का पहला पानी पड़ता है
लम्बे व्याकुल इन्तज़ार के बाद
सुबह से,
अति ऊभ-चूभ मन
याद वही सब करता है
जो याद नहीं अब, फिर भी रह-रह बजता है
ज्यों काँसे की गागर पर बजती हों बूँदें ।
वह गागर, यों तो फूट चुकी है अब कब की,
पर रक्खी है फिर भी सहेजकर पेटी में ।