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"जब मैं बोला / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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जब मैं चुप था<br />नहीं किसी ने मुझसे पूछा-<br />मैं क्यों चुप हूँ?<br /><br />जब मैं बोला<br />तब सारी दुनिया ने टोका।</poem>
 
जब मैं चुप था<br />नहीं किसी ने मुझसे पूछा-<br />मैं क्यों चुप हूँ?<br /><br />जब मैं बोला<br />तब सारी दुनिया ने टोका।</poem>

11:49, 23 जून 2010 के समय का अवतरण

जब मैं चुप था
नहीं किसी ने मुझसे पूछा-
मैं क्यों चुप हूँ?

जब मैं बोला
तब सारी दुनिया ने टोका।