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"कुछ नहीं / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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'''कुछ नहीं'''
 
'''कुछ नहीं'''

11:44, 24 जून 2010 के समय का अवतरण

कुछ नहीं

एक विश्वास था
जो मेरे पास था

जिन्दगी के आख़िरी वक्त में
उसको भी
तुमने तोड़ा।

चलो अच्छा हुआ
जो कहने के लिए
अब कुछ नहीं छोड़ा।