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"हत्भाग्य / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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कड़क कर बोला - | कड़क कर बोला - | ||
तुमने ठेका ले रक्खा है | तुमने ठेका ले रक्खा है | ||
मुझे भी तो देखने दो ! | मुझे भी तो देखने दो ! | ||
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कलाकार ! | कलाकार ! | ||
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'''अनुवाद : मोहन आलोक''' | '''अनुवाद : मोहन आलोक''' | ||
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18:53, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
बहरा सराह रहा है
सजी सभा में
पंगुल पाँव सहला कर बोला -
मैं नाचूँगा ।
अँधा आगे आया
कड़क कर बोला -
तुमने ठेका ले रक्खा है
मुझे भी तो देखने दो !
कलाकार !
लो, सँभालो तुम्हारी क़लम !
अनुवाद : मोहन आलोक