"गाबरोवो / कर्णसिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) |
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
मिटाता है | मिटाता है | ||
गाबरोवो । | गाबरोवो । | ||
+ | |||
+ | गाबरोवो : बल्गारिया का मध्यवर्ती शहर जो स्वय पर हंसने के लिए प्रसिद्ध है | ||
</poem> | </poem> |
20:54, 1 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
एक दूसरे से ऊबे
अहमन्यता शराब के नशे में डूबे
लोगों को हँसाता है
गाब रोवो ।
हँसी की ख़ातिर
गावदू बन जाते हैं
यहाँ के लोग
अपनी मूर्खता के किस्से
ख़ुशी-ख़ुशी सबको
सुनाते हैं
यहाँ के लोग
हँसता है पूरा देश
हँसता है यूरोप
अपनी बेहूदगियों का
हर वर्ष
त्यौहार मनाता है
गाबरोवो ।
क्या सचमुच ऐसे हैं
इस नगर के वासी ?
ख़ूब बनाते
फैलाते
नए-नए किस्से
किताबें छपवाते हैं ।
उर्वर है कल्पना
शीत से ठिठुरी धरती पर
उजली हँसी का वसंत
खिलाता है
गाबरोवो ।
कितना बड़ा जिगरा
जुटते हैं उत्सव में
दुनिया के बेजोड़ हँसोड़
छोड़ते पैने तीर
ख़ुशी में मगन
सुनता पूरा शहर
संकीर्णता का सारा बोध
मिटाता है
गाबरोवो ।
गाबरोवो : बल्गारिया का मध्यवर्ती शहर जो स्वय पर हंसने के लिए प्रसिद्ध है